TAMIL NADU फेंगल तूफान आज तमिलनाडु-पुडुचेरी से टकराएगा, 4 राज्य प्रभावित
TAMIL NADU फेंगल तूफान आज तमिलनाडु-पुडुचेरी से टकराएगा, 4 राज्य प्रभावित:90kmph की रफ्तार से हवा चलेगी, स्कूल-कॉलेज और चेन्नई एयरपोर्ट बंद
TAMIL NADU में लैंडफॉल के दौरान 90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलेगी। तमिलनाडु और पुडुचेरी के कई इलाकों में बारिश का रेड अलर्ट जारी किया गया है।
बंगाल की खाड़ी से उठा फेंगल तूफान शनिवार शाम तक पुडुचेरी के कराईकल और तमिलनाडु के महाबलीपुरम के बीच समुद्र तट से टकराएगा। इसका असर कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भी दिख रहा है।
चेन्नई में कई फ्लाइट्स प्रभावित भी हुई हैं। शाम 7 बजे तक एयरपोर्ट बंद कर दिया गया है। कई ट्रेनें भी निर्धारित समय से लेट चल रही हैं।
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तमिलनाडु के कांचीपुरम, चेंगलपट्टू, तिरुवल्लूर, कुड्डालोर, विल्लुपुरम, कल्लाकुरिची, चेन्नई और मयिलादुथुराई जिलों और पुडुचेरी में आज स्कूल-कॉलेज बंद रखे गए हैं।
इन जिलों में लोगों को भी घर से बाहर न निकलने की सलाह दी गई है। रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए तमिलनाडु में NDRF की 7 टीमें तैनात की गई हैं। हर एक टीम में 30 जवान रखे गए हैं।
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फेंगल के असर की 6 तस्वीरें...
तमिलनाडु के महाबलीपुरम में 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चली। इसके कारण समुद्र में ऊंची लहरे उठीं।
चेन्नई शहर में तेज हवा और आंधी के कारण कई पेड़ उखड़ गए।
तस्वीर तमिलनाडु के नागपट्टनम की है। मौसम विभाग की चेतावनी के बाद करीब 4 हजार नावें किनारे पर लौट आई हैं।
थाई कल थोनी थोरु गांव में NDRF की टीम ने निचले इलाके में रह रहे लोगों को रेस्क्यू किया।
पुडुचेरी के कराईकल में भी ऊंचीं शनिवार सुबह ऊंचीं लहरे उठीं। यहां साइक्लोन का लैंडफॉल होगा।
चेन्नई में तेज बारिश के कारण निचले इलाकों में पानी भर गया। लोगों को सड़कों पर गाड़ी चलाने में दिक्कत हुई। (फोटो क्रेडिट- राज कुमार)
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फेंगल से प्रभावित 4 राज्य...
तूफान का असर तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और पुडुचेरी में पड़ रहा है। तमिलनाडु सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है। यहां भारी बारिश के चलते धान की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। नागपट्टिनम में करीब 800 एकड़ से ज्यादा की फसल खराब हुई।
राज्यों में असर और तैयारी...
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1. तमिलनाडु
असर: कामेश्वरम, विरुंधमावडी, पुडुपल्ली, वेद्रप्पु, वनमादेवी, वल्लपल्लम, कल्लिमेडु, ईरावायल और चेम्बोडी जिलों में 3 दिसंबर तक भारी बारिश होगी। कांचीपुरम, चेंगलपट्टू, तिरुवल्लूर, कुड्डालोर, विल्लुपुरम, कल्लाकुरिची और मयिलादुथुराई में स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। चेन्नई में बारिश के कारण कई फ्लाइट्स प्रभावित हुई हैं। ट्रेनें भी लेट हुई हैं। समुद्री तट के पास के इलाकों और निचले इलाकों से लोगों को सेफ जगह पहुंचाया गया है।
तैयारी: नौसेना प्रभावित इलाकों में गाड़ियों से को भोजन, पीने का पानी भेज रही है। बाढ़ संभावित इलाकों में NDRF की 7 टीमें तैनात की गई हैं।इमरजेंसी से निपटने के लिए टोल-फ्री नंबर 112 और 1077 जारी किए हैं। 2 हजार रिलीफ कैंप तैयार किए गए हैं। तिरुवरुर और नागपट्टनम में 471 लोगों को ठहराया गया है। दफ्तरों में वर्क फ्रॉम होम की अपील की गई है। समुद्र तट के नजदीकी सड़कों पर आवाजाही बंद कर दी गई है।
2. आंध्र प्रदेश
असर: फेंगल तूफान से नेल्लोर, चित्तूर, विशाखापट्टनम और तिरुपति सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। यहां भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। यहां 50-60 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से हवा चल रही है।
तैयारी: 1 दिसंबर तक प्रभावित समुद्री तटों को खाली रखने के निर्देश दिए गए हैं। मछुआरों को भी बोटिंग करने से मना किया गया है। आंध्र प्रदेश सरकार ने तट के नजदीक रहने वाले लोगों से घरों में रहने की अपील की है।
3. पुडुचेरी
असर: पूरे पुडुचेरी में बारिश हो रही है। निचले इलाकों में पानी भर गया है। कई इलाकों में पवर कट भी देखने को मिला है।
तैयारी: सभी स्कूल-कॉलेज भी बंद कर दिए गए हैं। दफ्तरों को वर्क फ्रॉम होम करने के लिए कहा गया है। 12 लाख लोगों को सावधानी बरतने के लिए मैसेज भेजे गए हैं। इमरजेंसी हेल्प लाइन नंबर भी जारी किए गए हैं। पुलिस और PWD डिपार्टमेंट को अलर्ट पर रखा गया है।
4. कर्नाटक
असर: उडुपी, चिक्कमगलुरु, चित्रदुर्ग समेत 16 जिलों में बारिश हो रही है। 1 दिसंबर से 3 दिसंबर तक बिजली भी गिर सकती है।
तैयारी: निचले इलाकों के लोगों को सावधान रहने के लिए कहा गया है। पुलिस और PWD टीम को प्रभावित लोगों तक जल्द पहुंचने के निर्देश दिए गए हैं।
तूफान की चेतावनी के बावजूद चेन्नई में मछुआरे समुद्र में मछली पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
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सऊदी अरब ने दिया तूफान को 'फेंगल' नाम
इस तूफान का नाम 'फेंगल' सऊदी अरब की तरफ से प्रस्तावित किया गया है। यह एक अरबी शब्द है, जो भाषाई परंपरा और सांस्कृतिक पहचान का मिश्रण है। यह शब्द वर्ल्ड मीटियोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (WMO) और संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (UNESCAP) के नामकरण पैनल में क्षेत्रीय विविधता को दर्शाता है।
चक्रवातों के नामों का चयन करते समय यह सुनिश्चित किया जाता है कि नामों का उच्चारण आसान हो, वे याद रखने में सरल हों, और सांस्कृतिक रूप से निष्पक्ष हों। यह ध्यान रखा जाता है कि नाम ऐसे हों जिनसे अलग-अलग क्षेत्रों और भाषाओं के बीच कोई विवाद पैदा न हो या किसी का अपमान न हो।
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कैसे रखे जाते हैं साइक्लोन के नाम
आम तौर पर, साइक्लोन का नाम क्षेत्रीय स्तर के नियमों के अनुसार रखे जाते हैं। हिंद महासागर के साइक्लोन के नामकरण के लिए 2004 में एक सहमति बनी थी। इसमें 13 देशों ने नामों का एक सेट दिया, जो साइक्लोन आने पर एक के बाद एक दिए जाते हैं।
साइक्लोन के नाम चुनते वक्त यह ध्यान रखा जाता है कि वे आसानी से याद रहें, उनका उच्चारण भी आसान हो और वे आपत्तिजनक न हों। इनके नामों को अलग-अलग भाषाओं से भी चुना जाता है ताकि अलग-अलग इलाकों में रहने वाले लोग इनसे परिचित हों।
साइक्लोन के नामों की मौजूदा लिस्ट 2020 में तैयार की गई थी, जिसमें प्रत्येक सदस्य राज्य 13 नामों का योगदान देता है। इन नामों का इस्तेमाल रोटेशन में किया जाता है। किसी भी नाम का दोबारा इस्तेमाल नहीं होता है। यानी हिंद महासागर में आया हर साइक्लोन अलग नाम से जाना जाता है।
उदाहरण के लिए, 'फेंगल' नाम का सुझाव सऊदी अरब ने दिया था। इसके बाद अब जो भी अगला चक्रवात आएगा उसका नाम 'शक्ति' रखा जाएगा और इस नाम को श्रीलंका ने सुझाया है।