MADHYA PRADESH में रोजाना 30 बच्चे हो रहे गायब

MADHYA PRADESH में रोजाना 30 बच्चे हो रहे गायब:इन पर तस्करों की नजर; जो 48 घंटे में नहीं मिला, वो हमेशा के लिए लापता MADHYA PRADESH  
भोपाल में सात दिन पहले 2 साल के एक बच्चे का अपहरण हो गया। पुलिस ने 12 घंटे में आरोपी को पकड़ लिया। पता चला कि बच्चे से भीख मंगवाने के लिए उसका अपहरण किया गया था। ये बच्चा खुशकिस्मत था, जिसे पुलिस ने तुरंत ढूंढ निकाला लेकिन मध्यप्रदेश के हजारों बच्चे इतने खुशकिस्मत नहीं। एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) के आंकड़ों के मुताबिक, मध्यप्रदेश में रोजाना औसतन 30 बच्चे गायब हो रहे हैं। जो बच्चा 48 घंटे में नहीं मिलता, वो हमेशा के लिए लापता हो जाता है। देश में मध्यप्रदेश बच्चों के लिए सबसे असुरक्षित राज्यों में क्यों शामिल हो गया है, बच्चे कैसे गायब हो जाते हैं और अपहरण करके कहां ले जाए जाते हैं? इन सवालों का जवाब जानने के लिए पढ़िए ये रिपोर्ट… सबसे पहले दो केस, जिनमें गायब बच्चे नहीं लौटे... केस 1: घर से सामान लेने निकला अभय लापता भोपाल के छोला इलाके में रहने वाले रंजीत सेन बताते हैं- मेरा बेटा अभय 11 साल का है। 19 अगस्त को घर से सामान लेने निकला था। अब तक नहीं लौटा। बेटा जब गायब हुआ तो मोहल्ले की गलियों के सीसीटीवी फुटेज खुद जुटाए। पुलिस से बार-बार यही कहा कि यदि रेलवे स्टेशन के फुटेज देखने को मिल जाए तो मैं अपने बेटे को पहचान लूंगा। MADHYA PRADESH
पिता बोले- पुलिस ने कुछ नहीं किया रंजीत ने बताया- इस बार कहा गया कि यह तो छोला थाने की एफआईआर है, जीआरपी की होती तो दिखाते। अब तक जहां भी तलाशा है, मैंने खुद तलाशा है। एक अकेला आदमी जो कर सकता है, सब किया है लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया। अभय मानसिक रूप से कमजोर भी था। सीहोर, रायसेन, विदिशा, होशंगाबाद, इटारसी कहां नहीं गया। उज्जैन में भी खूब ढूंढा। कई बाबाओं के पास गया लेकिन कुछ भी पता नहीं चला …। हम दो भाई थे। एक साल पहले भाई की मौत हो गई, फिर मेरा इकलौता बेटा गायब हो गया। MADHYA PRADESH
केस 2: घर से निकला, फिर गायब हो गया गोलू ग्वालियर के रहने वाले संजय शाक्य भोपाल में कोलार थाने के पास सब्जी का ठेला लगाते हैं। संजय का सबसे छोटा 11 वर्षीय बेटा गोलू बोल नहीं पाता था। संजय बताते हैं- 18 फरवरी की सुबह मैं दुकान चला गया। बड़ी बेटी रेखा ऑफिस चली गई और बड़ा बेटा करण काॅलेज चला गया। घर पर छोटी बेटी मुस्कान और सबसे छोटा गोलू बचे। गोलू कई बार घर पर अकेला भी रह जाता था। मुस्कान कुछ देर के लिए अपनी सहेलियों के साथ चली गई ।
बहन बोली-सभी जगह ढूंढा, कहीं नहीं मिला संजय शाक्य ने बताया कि आसपास के सीसीटीवी कैमरे देखे तो गोलू एक गली तक जाता दिखाई दिया। इसके बाद वह कहां गया, किसी को नजर नहीं आया। शाम तक पुलिस के पास पहुंचे। एफआईआर की लेकिन कहीं कुछ पता नहीं चला। गोलू की बड़ी बहन रेखा बताती है कि छोटा भाई घर से निकला यह तो समझ आता है लेकिन आखिर वह गया कहां? हमने बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, होशंगाबाद, इटारसी सभी जगह सर्च किया। कोलार से आगे रातापानी का जंगल लग जाता है, वहां जाने का सवाल ही नहीं है। बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन भी 12 किमी दूर है, उसकी जेब में एक रुपया भी नहीं था।
MADHYA PRADESH अब वो केस, जिसने पुलिस को भी हैरान किया अक्टूबर 2023 में भोपाल के माता मंदिर इलाके से मानव तस्कर गिरोह ने कन्या पूजन के बहाने दो बालिकाओं का अपहरण कर लिया था। आरोपियों ने पहले इलाके के लोगों का भरोसा जीता और फिर परिजन की मर्जी से बच्चियों को अपने साथ ले गए। ये पुलिस के लिए भी हैरान करने वाला मामला था। क्योंकि ज्यादातर केस में आरोपी चोरी-छिपे अपहरण करते हैं और अपनी पहचान छिपाने की कोशिश करते हैं। इस केस में आरोपी बालिकाओं को शहर से बाहर ले जाना चाहते थे लेकिन पुलिस की सख्ती के चलते ऐसा नहीं कर सके। इस बीच बालिकाओं की पहचान छुपाने के लिए उनके सिर मुंडवा दिए और उन्हें कोलार के एक पाॅश इलाके में बंगले में बंद करके रख दिया। पुलिस ने तीन दिन तक तलाशी अभियान चलाया। इसके बाद बंगले पर छापा मारकर बालिकाओं को बरामद कर लिया। यह गिरोह शहर के अलग-अलग हिस्सों में बच्चों की तलाश कर रहा था। उनके निशाने पर गरीब बच्चे थे, जो सड़क किनारे भीख मांगने वाले या मजदूरों के बच्चे थे। गिरोह में एक आरोपी पहले भी इस तरह का अपराध कर चुका था। जिसकी बच्चियों का अपहरण हुआ, रतलाम निवासी वह मुकेश आदिवासी एक महीने पहले ही पत्नी लक्ष्मी, 8 साल की बेटी काजल, बेटे संदीप और बेटी सोना और 11 महीने की बेटी दीपावली के साथ लालघाटी के बरेला गांव में रहने आया था। MADHYA PRADESH
तलाशना पुलिस के लिए नामुमकिन नहीं, फिर भी सुस्ती रिटायर्ड हो चुके केबी शर्मा ने भोपाल ग्रामीण डीआईजी रहते हुए गुमशुदा बच्चों को तलाशने के लिए एक पहल की। उन्होंने गुम बच्चों को तलाशने के लिए 32 पाइंट की एसओपी यानी स्पेशल ऑपरेशनल प्लान तैयार किया। इसे दो वर्गों में बांटा गया। एक जिसमें परिजन को किसी पर शक था, दूसरा जिसमें बिल्कुल पता नहीं था कि बच्चा कहां गया, कैसे गया है। हर जांच अधिकारी को इस एसओपी के पूरी तरह पालन के निर्देश दिए। मैदानी स्टाफ की जमीनी समस्याओं का हल ढूंढा और प्रत्येक मामले में तुरंत सक्रिय होने के निर्देश देते हुए मॉनीटरिंग की। कुछ ही दिनों में नतीजा दिखने लगा और छह महीने में केवल एक रेंज में 500 गुमशुदा बच्चे तलाश लिए गए। रिटायर्ड डीआईजी बोले- ऐसे मामले प्राथमिकता में ही नहीं रिटायर्ड डीआईजी शर्मा ने बताया कि गुमशुदा बच्चों के मामले में पुलिस जितनी जल्दी सक्रिय होती है, नतीजा मिलने के आसार बढ़ जाते हैं लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है। असल में ऐसे मामले पुलिस की प्राथमिकता में ही नहीं हैं। निर्देश हैं कि गुमशुदगी के मामले में तुरंत कार्रवाई करें महिला अपराध शाखा की एडीजी प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव कहती हैं कि गुमशुदगी के प्रकरणों में जो त्वरित कार्रवाई होती है, वही कारगर होती है। इसके लिए पूर्व में भी निर्देशित किया गया है कि ऐसे मामले सामने आने पर तेजी से कार्रवाई की जाए। इस बारे में फिर से निर्देश दिए जा रहे हैं। यह है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार, अगर कोई बच्चा लापता हो तो तुरंत स्थानीय पुलिस को सूचित करना चाहिए। साथ ही नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन को द लॉस्ट हेल्पलाइन (1-800-843-5678) पर कॉल करके सूचना देनी चाहिए। गुमशुदा बच्चों के संबंध में पुलिस को गुमशुदगी नहीं बल्कि अपहरण की धारा में प्रकरण दर्ज करना चाहिए। MADHYA PRADESH